दही जिसे डेयरी फूड कहा जाता है वह एक ऐसा आहार है जो भारतीय भोजन में अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। चाहे मौसम गरम हो या फिर ठंडा दही का स्वाद और उपयोग अनगिनत रूपों में व्यक्त होता है। इसे बड़े शौक से खाया जाता है जैसे कि पराठे के साथ या तहरी के साथ बनाए गए रायते के साथ।
दही का सेवन करने से सेहत को कई लाभ प्राप्त होते हैं और इसलिए इसके फायदों को समझना बहुत महत्वपूर्ण है। इसके अलावा दही को अधिकतर लोग दिनभर के भोजन का हिस्सा बनाकर शक्ति और पुष्टि प्रदान करने में उपयोग करते हैं।
सही समय और तरीके से दही का सेवन करना भी महत्वपूर्ण है ताकि इसके लाभ पूरे प्रमाण में मिल सकें। इसके साथ-साथ दही का सेवन स्वास्थ्य के लाभ के साथ-साथ स्वाद को भी बढ़ाता है जो भोजन को और भी आनंददायक बना देता है।
दही कब खाना चाहिए?
दही को सुबह या दोपहर के समय ही लेना चाहिए। रात्रि में दही खाने से पेट संबंधित कई समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं क्योंकि दही की प्रकृति अम्लीय होती है और गलत समय पर खाने से खून में असमान्यता हो सकती है जिससे त्वचा समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
सही समय पर दही खाना हमारे स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है लेकिन गलत समय पर इसका सेवन करना नुकसानकारी हो सकता है। अतः आपको दही का सही समय पर उपभोग करना चाहिए ताकि आपका स्वास्थ्य समृद्धि और तंदुरुस्त रहे।
दही खाने से क्या होता है?
दही खाने से शरीर को कई फायदे होते हैं लेकिन कुछ नुकसान भी हो सकते हैं। दही में प्रोबायोटिक्स विटामिन,कैल्शियम और प्रोटीन होते हैं जो पाचन वजन त्वचा और हड्डियों के लिए अच्छे होते हैं।
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लेकिन दही का अत्यधिक या गलत समय पर सेवन करने से एसिडिटी सूजन एलर्जी और कब्ज जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए दही को संतुलित मात्रा में और सही तरीके से खाना चाहिए।
दही खाने का ये है सही समय और तरीका, जानें फायदे
दही खाने का सही तरीका यह है कि आप दही को दोपहर के समय खाएं जब आपका पाचन तंत्र सबसे अधिक सक्रिय होता है। दही को चीनी के साथ नहीं बल्कि मिश्री गुड़ फलों या जीरा-नमक के साथ मिलाकर खाएं। दही को अच्छी तरह से फर्मेंट करें ज्यादा खट्टा या बासी दही नहीं खाएं।
दही को रात के समय या ठंडे पानी के साथ नहीं खाएं इससे आपको एसिडिटी सूजन और कब्ज जैसी समस्याएं हो सकती हैं। दही को दूध उड़द दाल फिश चीज़ या अंडे के साथ नहीं खाएं इससे आपको एलर्जी या त्वचा की बीमारियां हो सकती हैं।
दही कब नहीं खाना चाहिए
दही कब नहीं खाना चाहिए? आपने एक अच्छा सवाल पूछा है। आयुर्वेद के अनुसार दही की प्रकृति गर्म होती है और यह कफ और पित्त को बढ़ाता है। इसलिए दही को गर्मियों में या रात के समय नहीं खाना चाहिए क्योंकि इससे आपको एसिडिटी सूजन एलर्जी दांतों का सड़ना बालों का झड़ना त्वचा की बीमारियां आदि जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
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दही को चीनी के साथ नहीं बल्कि मिश्री गुड़ फलों या जीरा-नमक के साथ मिलाकर खाना चाहिए। ज्यादा खट्टा या बासी दही नहीं खाना चाहिए। दही को दूध उड़द दाल मछली चीज़ या अंडे के साथ नहीं खाना चाहिए क्योंकि इससे आपको एलर्जी या त्वचा की बीमारियां हो सकती हैं।
दही खाने के फायदे और नुकसान
दही खाने के फायदे | दही खाने के नुकसान |
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दही पाचन को सुधारता है क्योंकि इसमें प्रोबायोटिक्स होते हैं जो आंतों में अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ाते हैं। | दही का अत्यधिक या गलत समय पर सेवन करने से एसिडिटी सूजन एलर्जी और कब्ज जैसी समस्याएं हो सकती हैं। |
दही वजन कम करने में मदद करता है क्योंकि इसमें कैल्शियम और प्रोटीन होते हैं जो मेटाबोलिज्म को बढ़ाते हैं और भूख को कम करते हैं। | दही को दूध उड़द दाल मछली चीज़ या अंडे के साथ नहीं खाना चाहिए क्योंकि इससे आपको एलर्जी या त्वचा की बीमारियां हो सकती हैं। |
दही त्वचा को निखारता है क्योंकि इसमें विटामिन B C और E होते हैं जो त्वचा को हाइड्रेट करते हैं झाइयां मुंहासे दाग-धब्बे और झुर्रियों को दूर करते हैं। | दही को चीनी के साथ नहीं बल्कि मिश्री गुड़ फलों या जीरा-नमक के साथ मिलाकर खाना चाहिए क्योंकि चीनी दही के फायदे को कम करती है और शरीर में विषैले पदार्थों का संचय करती है। |
दही हड्डियों को मजबूत बनाता है क्योंकि इसमें कैल्शियम फॉस्फोरस और मैग्नीशियम होते हैं जो हड्डियों के निर्माण और स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं। | दही को ठंडे पानी के साथ नहीं खाना चाहिए क्योंकि इससे आपका पाचन तंत्र धीमा हो जाता है और आपको गैस बदहजमी और उल्टी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। |
दही ऊर्जा और स्टैमिना को बढ़ाता है क्योंकि इसमें लैक्टिक एसिड होता है जो शरीर को शक्ति देता है और थकान को दूर करता है। | दही को ज्यादा खट्टा या बासी नहीं खाना चाहिए क्योंकि इससे आपको दांतों का सड़ना बालों का झड़ना आँखों का धुंधला होना आदि जैसी समस्याएं हो सकती हैं। |
दही की तासीर कैसी होती है
दही की तासीर ठंडी होती है। यह आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने में मदद कर सकती है। दही को गरमी के मौसम में भी लिया जा सकता है क्योंकि इसमें ठंडक प्रदान करने की क्षमता होती है जो शारीर को शीतलता महसूस कराने में मदद करती है।
दही में प्रोबायोटिक्स भी होते हैं जो आपके पाचन को सुधारने में सहायक हो सकते हैं। इसे सही मात्रा में और सही समय पर लेना सुनिश्चित करता है कि इसका अच्छा प्रभाव होता है और आपके स्वास्थ्य को लाभ पहुंचता है।
आयुर्वेद के अनुसार दही कैसे खाएं?
आयुर्वेद के अनुसार दही को सही रीति से खाना शरीर के संतुलन को बनाए रखने में मदद कर सकता है। सबसे पहले सही समय पर दही खाना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
सुबह और दोपहर को इसे लेना उत्तम होता है जब शरीर का पाचन प्रणाली सक्रिय होती है। रात्रि में दही का सेवन कम करना चाहिए ताकि यह पाचन में कोई अधिकता नहीं उत्पन्न करे।
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें। https://gyanlife.com इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है।